Shark tank के शार्क खुद घाटे में!!जानिए सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस विस्तार से…Shark Tank Judges Navigating Choppy Waters Harsh Goenka on Losses of investors

Shark Tank Judges 'Navigating Choppy Waters': Harsh Goenka on Losses of investors

आपको शार्क टैंक यदि याद है इंडिया का, तो उसमें Ashneer Grover का चेहरा जरूर याद होगा, जिनके फेम के चलते शार्क टैंक को भी फेम मिल गई थी। फिलहाल के लिए हम शार्क टैंक इंडिया की बात कर रहे हैं, जो सुर्खियों में है अपने शार्क्स के कारण। शार्क असल मायने में समुद्र में पाए जाने वाली वह मछली है, जो कि समुद्र की सबसे खतरनाक बड़ी मछली मानी जाती है। ऐसे ही स्टार्टअप के केस में जो बड़े स्टार्टअप्स के फाउंडर्स हैं, आज चर्चा उनकी है। चर्चा क्यों है?

Shark Tank Judges Navigating Choppy Waters Harsh Goenka on Losses of investors
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अगर आपको इस शार्क स्टार्टअपिंग इंडिया के बारे में जानकारी हो, तो सोनी पर प्रदर्शित होने वाला है, जिसके अंदर कुछ लोग अपने आइडिया को लेकर वहां जाते हैं और वहां जाकर अपना आइडिया प्रेजेंट करते हैं। तो वह उसके अंदर कुछ फंड लेकर के ऐसे में बहुत सारे शार्क आप लोगों के नजर में होंगे, जो कि अपनी तरफ से या तो आइडिया को रिजेक्ट करते हुए या आइडिया को प्रमोट करते हुए पाए जाते हैं। क्योंकि आरपीजी ग्रुप के जो अध्यक्ष हैं, हर्ष गोयंका, उन्होंने शार्क्स पर एक टिप्पणी की है। अब सवाल यह है कि हेडलाइन क्यों है? इन्होंने टिप्पणी करते हुए शार्क के बारे में लिखा। ”Sharks Tank India judges are “navigating choppy waters”

Shark Tank Judges 'Navigating Choppy Waters': Harsh Goenka on Losses of investors
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अगर आपको समुद्र के शार्क का खाता नवाजा गया है, तो आप या तो औरों को खाने के लिए बने हैं। आप काम से कम वह हैं जो सबसे ज्यादा पावरफुल हैं। वह पैसे देने के लिए जाने जा रहे हैं। खुद ही इस तरह से लाल हुए रखे हैं। तो फाइनेंशियल ईयर 2024 करोड़ का घाटा पर इनका स्टार्टअप ना होने के कारण इस पर टिप्पणी नहीं हुई। देश अग्रवाल का 184 करोड़ का घाटा, 68 करोड़ का। तो यह सारे लोग घाटे में हैं। तो बड़ा सवाल यह है कि वह हमें क्या सही ट्रेडिंग का ज्ञान देगा इस थॉट के साथ, जब लोग इनको सुनने आते हैं कि शार्क टैंक ने लोगों के शार्क टैंक में लोगों को शार्क ने जो जानकारी दी, उनकी जानकारी को कितना प्रश्न खड़ा हो गया है। इसकी वजह से सोशल मीडिया पर पहले अपना मतलब प्रचार प्रसार करते हैं। बढ़िया प्रचार प्रसार के बाद में अपनी कंपनी को बढ़िया वैल्यूएशन दिलाते हैं, बेचकर पैसा लेकर। सोशल मीडिया पर कंट्री इस बात पर शुरू हो गई। तो चलिए इस पूरी कहानी को थोड़ा डिटेल में समझते हैं।

Shark Tank Judges 'Navigating Choppy Waters': Harsh Goenka on Losses of investors
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क्या है और किसके बीच शार्क टैंक इंडिया की बात होती है? तो आप में से बहुत से लोगों ने इसे देखा होगा, नहीं देखा होगा, नाम सुना होगा और नहीं सुना है, तो सुन लेना चाहिए। क्योंकि आप लोगों को स्टार्टअप के बारे में आइडिया देने वाला धारावाहिक है। एंटरटेनमेंट चैनल है इंडिया के अंदर, एक सोनी एंटरटेनमेंट शो के अंदर बहुत सारी स्टार्टअप आइडियाज को प्रोजेक्ट किया जाता है। मनी टाइगर के नाम से उसे जापानी टाइगर नाम के सीरियल को जापान मनी टाइगर को कॉफी ड्रैगन के नाम से 2005 में, जैसे इंडिया में यह कॉपी है और नए इतिहास को सुनकर उन्हें पैसा दिया करते थे। और उन कंपनियों के अंदर अपने ऐसे ही ड्रैगन नाम से ब्रिटेन में एक शो आया 2005 में। उसे ड्रैगन डेन को फिर कॉपी किया गया अमेरिका में और अमेरिका में शार्क टैंक के नाम से 2009 में यह धारावाहिक शुरू हुआ, जिसमें 16 सीजन आए।

Shark Tank Judges 'Navigating Choppy Waters': Harsh Goenka on Losses of investors
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असल में धारावाहिक सुनकर ऐसा लगता है कि थोड़ा ड्रामेटिक होता होगा, लेकिन सही मायने में यह लोग कौन हैं। इस अमेरिका वाले शार्क टैंक को फिर इंडिया में कॉपी किया गया और नाम भी से रखा गया, बस और में इंडिया जोड़ दिया गया और भारत में आ गया शार्क टैंक इंडिया। शार्क टैंक इंडिया का पहला सीजन आया और उसके अंदर यह सारे जज को रखा गया। ऐसे ही को रखा गया। शार्क टैंक तीन के अंदर इंजन, जिसको रखा गया। शार्क टैंक का 4th सीजन शुरू हो चुका है और वह इस समय लाइव चल रहा है।

Shark Tank Judges 'Navigating Choppy Waters': Harsh Goenka on Losses of investors
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अनुपम मित्तल, अमन गुप्ता, विनीता सिंह, नमिता थापा, पियूष बंसल, यह कुछ बदलते रहे। पहले सीजन के 62000 एक्सपीरियंस ने अप्लाई किया था, उनमें से 198 बिज़नेस को सेलेक्ट किया गया कि वह जाकर पिच करें। उनमें से 67 बिज़नेस को पैसा मिला था, 42 करोड़ रुपए के आसपास शार्क ने इन्वेस्ट किए हैं। सीजन 2 के अंदर 103 में से 103 को फंड मिला, 80 करोड़ के आसपास की फंडिंग की गई। थर्ड सीजन में 26 करोड़ का इन्वेस्टमेंट दिया गया। शुरुआती सीजन 1 जब आया था, उस समय जो शार्क थे, यानी कि स्टार्टअप फाउंडर्स थे, उनमें से केवल 2 फायदे में थे, बाकी सब लोग लाल हो रखे थे। सीजन 2 जब आया, उसके जो जज थे, वह सब की सब लॉस में थे और बड़े-बड़े नंबर्स के लॉस में थे। हालात ऐसे में जो शार्क थे, जो थर्ड सीजन में प्रॉफिटेबल थे, चार नंबर वाला आया है। उसके जब जज की बारी आई, तो उसे पर हर्ष गोयंका का, जिन्होंने इन शार्क के ऊपर टिप्पणी की। शुगर कॉस्मेटिक जो विनीता सिंह है, उनकी कंपनी 68 करोड़ की घाटे पर है।

Shark Tank Judges 'Navigating Choppy Waters': Harsh Goenka on Losses of investors
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जो वोट चला रहे हैं, shadi.com जनरल 456 करोड़ पर, इन शॉर्ट 228 करोड़ पर, ओयो रूम 184 करोड़ पर। यह सब लोग इतने में किया हुआ है और पानी आप ही के खून से। यह अपने आप में बड़ा कटाक्ष था उन शख्स के ऊपर जाना कि धंधे के अंदर जो स्टार्टअप्स हैं, वह जनरली अपना पहला नुकसान में ही चल रहे होते हैं। क्योंकि उनके इन्वेस्टमेंट ज्यादा होते हैं, वह इन्वेस्टमेंट में कन्वर्ट हो जाती है। स्टार्टअप्स जब आगे चलकर के लार्ज कैप, मिड कैप कंपनी बनते हैं, तब वह प्रॉफिट इन्वेस्टमेंट में ही ले जाते हैं।

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इसको समझने के लिए आपके शहर का एक मिठाई वाला 10 करोड़ से ज्यादा का लाभ कमाता है साल भर के अंदर। 10 करोड़ रुपए, कितने शहरों में काम कर रहा है? कि अपने आप को माइंस में दिखाएं कि हम घाटे में क्यों? ऐसा क्योंकि एक तरफ 10 करोड़ के प्रॉफिट को देखकर अगर आप जज करेंगे, मिठाई वाला बढ़िया काम कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ आपको यह भी समझना होगा कि वह किस तरह से अपने पैसे को खर्च कर रहा है, कितना बड़ा बनाया हुआ है। स्टार्टिंग से बहुत कम समय में बड़ा काम करने के लिए जाने जाते हैं। यह नुकसान भी नहीं होता है। हम पैसा कमा के ही देते हैं। 2024 तक डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन इंडस्ट्रियल इंटरनल ट्रेड का अगर जानकारी प्राप्त हो, तो 140000 भारत के अंदर सरकारी स्टार्टअप रजिस्टर्ड हैं।

यह भारत सरकार यूनिकॉर्न का वैल्यू जो है, वह एक बिलियन से ऊपर का है। जिनमें से कुछ अच्छे ब्रांड फिनटेक में, पेटीएम, फोन पे, रेजर पर, जैसे ई-कॉमर्स में, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, नायका, जैसे अटैक के अंदर, बीजूस, अनअकैडमी, वेदांतु, जैसे हेल्थ पैक में, फार्मेसी के नाम हैं। भारत के अंदर जो लगभग डेढ़ लाख के आसपास स्टार्टअप हैं, लेकिन स्टार्टअप का 90% स्टार्टअप्स ऐसे हैं, जो 5 साल के अंदर अंदर जान निकाल देते हैं। यानी कि 95% स्टार्टअप ऐसे हैं। 40% स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनके पास धन का भाव रह जाता है और 99% स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनके पास प्लानिंग और एक्सपीरियंस का अभाव होता है।

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परिणाम स्वरूप बेकार प्लानिंग, कंपटीशन के चलते और मार्केट इस बैलेंस के चलते भारत के 90% स्टार्टअप्स बर्बाद हो जाते हैं। हालांकि भारत के अंदर स्टार्टअप्स ही नहीं, स्टार्टअप्स के लीडर्स में बीजूस की फेल हिस्ट्री भी हाल ही के समय पर। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई हो और अगर पसंद आई हो, तो अपने साथियों से इसे जरूर साझा करें।

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