भारत का ऑटो कंपोनेंट उद्योग: नीति आयोग का रोडमैप और 2030 तक $60 बिलियन निर्यात लक्ष्य

niti aayog report 2025:भारत का ऑटोमोटिव क्षेत्र न केवल देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है, बल्कि यह रोजगार सृजन, तकनीकी विकास और निर्यात क्षमता का भी एक मजबूत आधार है। इसी दिशा में नीति आयोग ने एक ठोस कदम उठाते हुए ‘ऑटोमोटिव इंडस्ट्री: पावरिंग इंडियाज पार्टिसिपेशन इन ग्लोबल वैल्यू चेन्स’ नामक एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत को वैश्विक ऑटो कंपोनेंट सप्लाई चेन का एक अहम हिस्सा बनाने के लिए कई राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों की सिफारिश की गई है।

niti aayog report 2025
niti aayog report 2025

विजन 2030: तीन गुना निर्यात वृद्धि और लाखों रोजगार:

नीति आयोग का उद्देश्य भारत के ऑटो कंपोनेंट निर्यात को 2030 तक मौजूदा 20 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 60 बिलियन डॉलर करना है। साथ ही, अगले पांच वर्षों में देश के ऑटोमोटिव कंपोनेंट उत्पादन को 145 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इस विस्तार के जरिए 2 से 2.5 मिलियन नए रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है, जिससे इस क्षेत्र में कुल प्रत्यक्ष रोजगार 3 से 4 मिलियन तक हो सकता है।

नीति समर्थन और औद्योगिक बुनियादी ढांचे का विकास:

रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार को उत्पादन लागत को कम करने के लिए परिचालन व्यय (OPEX) में सहायता प्रदान करनी चाहिए, जबकि टूलिंग, डाई और बुनियादी ढांचे के लिए पूंजीगत व्यय (CAPEX) पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह रणनीति भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने में मदद करेगी।

इसके साथ ही, क्लस्टर विकास की सिफारिश की गई है जिससे कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिले। अनुसंधान एवं विकास (R&D) केंद्र, परीक्षण सुविधाएं और सामान्य उपयोग की आधारभूत संरचनाएं इस सहयोग को सशक्त बनाएंगी। niti aayog report 2025

niti aayog report 2025
niti aayog report 2025

MSME को सशक्त बनाने की दिशा में पहल:

रिपोर्ट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को उत्पाद विभेदीकरण, अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग के लिए प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। बौद्धिक संपदा (IP) हस्तांतरण और नवाचार को बढ़ावा देने से यह क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बन सकता है।

गैर-राजकोषीय हस्तक्षेप और वैश्विक जुड़ाव:

नीति आयोग का मानना है कि नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना, श्रमिक घंटों में लचीलापन लाना, आपूर्तिकर्ता खोज और विकास को बढ़ावा देना तथा ऑटोमोटिव फर्मों के लिए व्यावसायिक वातावरण को अनुकूल बनाना आवश्यक है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत को वैश्विक बाजार में अपनी पहुंच को विस्तार देने के लिए संयुक्त उद्यमों (JV), विदेशी सहयोग और मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को प्रोत्साहित करना चाहिए।

niti aayog report 2025
niti aayog report 2025

तकनीकी नवाचार और डिजिटल समावेशन:

डिजिटल तकनीकों और उन्नत विनिर्माण मानकों के एकीकरण को बढ़ावा देना भी नीति आयोग की सिफारिशों में शामिल है। इससे भारत की ऑटोमोटिव कंपनियां वैश्विक गुणवत्ता और दक्षता के स्तर तक पहुंच सकेंगी।

भारत की वैश्विक स्थिति: अवसर और चुनौतियाँ:

2023 में वैश्विक ऑटोमोबाइल उत्पादन लगभग 94 मिलियन यूनिट तक पहुंचा, जिसमें ऑटोमोटिव कंपोनेंट बाजार का मूल्य लगभग $2 ट्रिलियन और निर्यात $700 बिलियन रहा। भारत, चीन, अमेरिका और जापान के बाद चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक देश है, जिसका वार्षिक उत्पादन लगभग 6 मिलियन वाहन है। हालांकि, इस क्षेत्र को अभी भी उच्च परिचालन लागत, अधूरी बुनियादी सुविधाएं, सीमित R&D और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में मध्यम स्तर के एकीकरण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।niti aayog report 2025

निष्कर्ष: भारत के लिए एक सुनहरा अवसर:

नीति आयोग की यह रिपोर्ट भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए एक निर्णायक मार्गदर्शन प्रदान करती है। यदि प्रस्तावित हस्तक्षेपों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो भारत न केवल वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बन सकता है, बल्कि वह ऑटो कंपोनेंट निर्यात का एक वैश्विक केंद्र भी बन सकता है। यह एक ऐसा अवसर है, जिसे भारत को पूरी गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ अपनाना चाहिए।

ये भी पढ़ें-

सोनू सूद की अपील: “सीटबेल्ट नहीं, तो आपका परिवार नहीं” — पत्नी की कार दुर्घटना के बाद जागरूकता की मिसाल

  • नीति आयोग ऑटो सेक्टर रिपोर्ट
  • ऑटो कंपोनेंट निर्यात भारत
  • भारत ऑटोमोटिव इंडस्ट्री 2030
  • ऑटो सेक्टर रोजगार नीति
  • Automotive Value Chain India
  • Auto Component Manufacturing India
  • Make in India Auto Sector
  • Indian Automotive Export Growth
  • नीति आयोग रिपोर्ट 2025
  • MSME ऑटो उद्योग भारत

Leave a Comment