संभव है आप सभी को याद हो कि महाकुंभ 2025 पर आयोजित किया जा रहा है। उसे संभव या किसी की बोल रहा हूं कि जिस स्तर की तैयारी और सारी व्यवस्थाएं थीं, जिसे खुशी के साथ सब लोग इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। कल से लेकर आज तक लगातार जो खबरें आ रही हैं, उन्हें सब लोग कहीं न कहीं अंदर से चिंता में पीड़ित हैं। लोग जो जाने वाले थे, उन्होंने अपने प्लान्स को यहां पोस्टपोन कर दिया है या लोगों की संख्या को घटा दिया है। ऐसा जो घटित हुआ, उसके पीछे क्या कारण जिम्मेदार थे, आज के सेशन में हम चर्चा करने वाले हैं। हालांकि कल महाकुंभ में मनमानी अमावस्या के दिन हुआ हादसा महाकुंभ के इतिहास में पहला हादसा नहीं था। वर्ष 1954 में जब देश ताजा ताजा आजाद हुआ था, तब प्रयागराज में ही संगम के तट पर आयोजित हुए महाकुंभ में 800 लोगों की जान केवल नदी में डूबकर चली गई थी। 1954, 1986, 2003 और 2013 ये चार कम ऐसे वर्ष रहे हैं जब महाकुंभ में हादसों की घटनाएं हुईं। वर्ष 2013 में प्रयागराज में ही रेलवे स्टेशन पर भी कुंभ में भगदड़ मचने की सूचना रही।



देखिए उत्तर प्रदेश के मैप में आपको प्रयागराज दिखाई दे रहा है। प्रयागराज संगम भूमि है, अर्थात यहां दो नदियां प्रत्यक्ष रूप से आकर मिलती हैं और तीसरी गुप्त नदी के रूप में यहां पर सरस्वती मिलती है। इन तीन नदियों का त्रिवेणी संगम यहां बनता है। अगर आप इस जगह को देखें, तो आप यहां पर पहचान पाएंगे कि उत्तर की तरफ से गंगा आई हुई दिखाई दे रही है और ऐसा लगता है कि दक्षिण की तरफ से यमुना आकर मिल रही है। यह दोनों नदियां जिस जगह जाकर मिलती हैं, वहां पर एक पन्ना सा एरिया बनता है, नुकीला सा क्षेत्र बनता है, जैसे संगम नोज कहते हैं। दो नदियों का यहां पर मिलना असल में तीन नदियों का मिलना है, क्योंकि यही पर सरस्वती नदी के बारे में भी बताया जाता है। ऐसे में इस जगह का महत्व त्रिवेणी संगम के रूप में होता है। अगर आज इसके महत्व का भी इस त्रिवेणी संगम के कारण है, तो गंगा जी तो यहां से पहले निकलकर आ रही हैं, उत्तराखंड से। यमुना जी भी इसी प्रकार से आ रही हैं। ऐसे में दोनों के संगम पर ही नहाने का महत्व समझकर लोग त्रिवेणी संगम में पहुंचा करते हैं या फिर इस नोज पर नहाने के लिए पहुंचते हैं।
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अब यही पर इस टेक्निकल को थोड़ा सा समझ लीजिए कि यहां से अगर किसी का है, तो यह दोनों नदियों के बीच का क्षेत्र जिस जगह पर लोग जाकर के संगम नोक पर स्नान करें, जहां दोनों नदियां मिले, उसके लिए लोगों को एक तरफ से दूसरी तरफ इन नदियों को क्रॉस करके पहुंचना होगा। और नदियों को क्रॉस करके पहुंचने के लिए ब्रिज की आवश्यकता होगी। जब करोड़ की संख्या में लोग जा रहे हैं, तो ऐसे में यहां से और यहां तक पहुंचाने के लिए स्थाई पलों का निर्माण किया गया और इन सभी क्षेत्रों को सेक्टर में बांट दिया गया। यह सभी स्थाई जो बृजेश थे, इन्हें कार्टून पुल कहा गया। यह वह बृजेश थे जो कि पीपल से बनाए गए थे, लोहे के बड़े-बड़े दमोह से बनाए गए थे। एक बार के लिए सैटेलाइट इमेज आप देख लें।

यहां पर गंगा नदी आपको दिखाई दे रही है, यमुना नदी दिखाई दे रही है और गंगा-जमुना जी जगह मिल रही है। यह त्रिवेणी संगम है। पर इस संगम घाट पर ही, इस नोज पर ही हादसा घटित हुआ। (mahakumbh 2025 stampede update) अब इस हादसे के बाद की सैटेलाइट इमेज और देखिए। जब आप संगम घाट की तरफ लोगों को जाते हुए देख रहे हैं, तो यह इस तरह से बड़ी संख्या में लोग यहां पर स्नान करने जा रहे हैं और उसी रास्ते से लौटकर आ रहे हैं। यह संगम नच की स्थिति है। लोग नहाने के लिए जा रहे हैं, यह क्राउड यहां पर आ रही है और इसी रास्ते से नहा कर वापस लौट रही है। और यह जो स्थिति यहां पर बनकर आई, आने की और जाने की एक ही रास्ते से, यह जो कंजेशन स्थिति बनकर आई है, कल भी हमने आपको बताई थी। इसके कारण भगदड़ होने के बहुत सारे स्थानों और ध्यान से समझने का प्रयास करें। तो यह जो आपको संगम न्यूज़ यहां पर दिखाई दे रहा है, यह असल मायने में गंगा और यमुना का संयुक्त रूप से वह क्षेत्र है, जहां जाकर के लोग स्नान करते हैं। तो नोज यह बना हुआ एक त्रिकोण सा स्थान है प्रयागराज के अंदर, जहां पर स्नान को सबसे पवित्र माना जाता है। क्योंकि नदी का यहां पर दो नदियां आपस में मिल रही हैं। कहानी यह आती है कि इस पूरी की कहानी में संगम नच के ऊपर ही हादसा क्यों घटित हुआ, इसके पीछे की कहानी समझ गई। जब सबको यह पता है कि त्रिवेणी संगम में जाकर नहाना है, तो त्रिवेणी संगम में नोज पर जाकर नहाने के लिए ही जितने भी यात्री पहुंच रहे हैं, वह असल में वही जाना चाहते हैं। हालांकि प्रशासन के द्वारा कहा जा रहा है कि आप यमुना के नजदीक हैं या गंगा के नजदीक हैं। अब जहां भी हैं, वहां पर तट के किनारे बैठकर नहा लीजिए। लेकिन अब जो कि आप त्रिवेणी संगम तक पहुंच गए हैं, तो आखिर तक न पहुंचे, फिर यह मन में मलाल रह जाता है। ऐसे में अधिकांश लोग जाना चाहते हैं उसे न्यूज़ तक पहुंचाने के लिए पैंटों पुल बनाए। जिससे होकर के लोग जाते हैं। और एक बार के लिए मैं पर आपको दिखाऊं तो देखो, यह इस तरह से बने हुए हैं। यह संगम तक ले जाने के लिए इतने सारे जो ब्रिज आपको दिखाई दे रहे हैं, गंगा को पार करते हुए। अब हुआ क्या? 27 और 28 तारीख के दिन, मतलब क्या है? 29 को हादसा हुआ है। 29 की सुबह, यानी 28 की रात को हादसा हुआ है। 27 और 28 में, 27 तारीख को यहां पर अमित शाह जी का दौर था, देश के गृहमंत्री का दौर था। ऐसे में यहां पर बहुत सारे वीआईपी के डर 27 और 28 के दौरान हुए। क्योंकि 29 को शाही स्नान था, इसलिए वीआईपी लोग आकर के नोज पर नहाने पहुंचे। कि यहां पर जितने भी पैंटों पुल हैं, जिन्हें लोग इस तरफ नहाने महाकुंभ में आ रहे थे, उन रास्तों को रोक दिया गया। बहुत सारे बृजेश को, क्योंकि वह वीआईपी मूवमेंट के कारण, सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए, उन्हें बंद कर दिया गया। बंद करने से इन क्षेत्रों में जो बैठी हुई जनता थी, उसके अंदर यहां से एक ब्रिज बंद है, तो दूसरे पर दूसरा बंद है, तो तीसरे पर जाने के लिए रास्ता बदलना पड़ेगा। दूसरा बीच में से बंद है, तो लौटकर निकालने में लोगों को चलने का भी व्यवधान हो गया। mahakumbh 2025 stampede update ऐसे में रास्ते इस वीआईपी के चलते बंद कर दिए गए। यहां पर लोग दुखी होकर के यही बात कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि अगर हमें बुलाना ही नहीं था, वीआईपी को ही बुलाना था, तो फिर उन्हें बुलाकर के ही दर्शन कर दिए जाएंगे। पुलिस सेकी पुल वीआईपी मूवमेंट है। कुछ इस प्रकार से वीआईपी इसकी कार्य यहां से है। हाहते हुए बीच में से जाते हुए दिखाई दी। यह लोग जो यहां पर दर्शन करने के नाम पर इतना बड़ा लाजमा लेकर चल रहे हैं, लोग इसे कहां से रोस्ट थे। इन लोगों के आने-जाने से यहां के रास्ते अवरुद्ध हुए और लोग पुलिस से झगड़ते हुए, बहस करते हुए 27 और 28 तारीख को दिखाई दिए।

वीआईपी मूवमेंट के चलते 27-28 जनवरी के दिन गृहमंत्री अमित शाह जी, बाबा रामदेव, अरुणाचल प्रदेश के गृहमंत्री, मामा ना तुम, किरण रिजू मिलिंग, सुमन, अरुण गोविल, अमेरिकी रॉक बैंड के कोल्डप्ले के सिंगर क्रिस मार्टिन जैसे वीआईपी का इस क्षेत्र के अंदर मूवमेंट था। जब इतने सारे लोगों का मूवमेंट था, तो उनके सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन रास्तों को बंद किया गया। अब यहां पर दो बड़ी बहस खड़ी हो जाती है। जब आप हैंडल ही नहीं कर सकते, तो वीआईपी को बुलाया क्यों गया? और बहुत सारे लोग बार-बार एक ही सवाल दोहरा रहे हैं कि आपको जब इतने बड़े लोग बुलाने ही थे, तो आप संगम नोक पर एक हेलीकॉप्टर बनाते, हेलीकॉप्टर से वह जाकर लैंड होते, होकर के सीधा स्नान करते और वहां से निकल जाते। उनके लिए जनता को इतनी बड़ी भीड़ को क्यों परेशान किया? जहां आम आदमी एक तरफ 25 किलोमीटर दूर अपनी कार खड़ी करके या ट्रेन से या बस से रुक करके आ रहा है और आपको लास्ट तक न्यूज़ तक अपनी कार से जाना है। जिन लोगों की वजह से आप लोग हैं, आप ही लोगों की वजह से वह लोग परेशान हो रहे हैं। ऐसा वीआईपी कल्चर किस काम का? इसके चलते सोशल मीडिया पर काफी यहां पर एक ऐसा वीडियो भी बाहर आया, जो स्टंप्ड के बाद का था, जिसमें एक एंबुलेंस चालक बोल रहा है कि मरीज को लेट-लेट रास्ते में ही मरीज मर जा रहा है। वह दुखी था। इस तरह की वीआईपी से कि यह जो गाड़ियां आ जा रही हैं, यह असल में वीआईपी पैसेज के साथ चल रही हैं। इस विषय पर शंकराचार्य के द्वारा भी प्रश्न उठाया गया। कहा गया कि भाई, यहां पर दो तरह के पास क्यों हैं: VIP पास और आम आदमी के पास। अगर 40 करोड़ के आसपास लोग आ रहे हैं, तो उनमें से इतने सारे लोग जो साधारण रूप से आए हैं, उनको आप किस तरह से यह ट्रीटमेंट दे रहे हैं? यहां पर बहुत सारे लोगों का बहुत सारा गुस्सा होता है। 27 जनवरी को जो मौनी अमावस्या का ट्रायल हो रहा था, उसी दिन पंडवों पुल को बंद करने के आदेश दे दिए गए। कुल मिलाकर उनमें से 27-28 को ज्यादातर पुल बंद कर दिए गए। 27 जनवरी को पुल नंबर 13, 14, 15 चालू थे, मात्र पर 28 जनवरी को जब सोचिए, सबसे ज्यादा भीड़ आने वाली है, उस समय ब्रिज बंद कर दिए गए। मुसीबत क्या हुई, अब आप उसको समझिए। 28 जनवरी को पुल चालू थे। अब दिक्कत क्या हुई? 29 के दिन सभी को नहाना था। देखिए, पहले ऐसे समझिए, संगम भूमि के साथ सब लोग नहाने जा रहे हैं। तो उनके नहाने के पीछे का तार किए हैं कि भाई, हम यहां पर नहाने जाएंगे, यहां जाकर स्नान तो करेंगे ही करेंगे, प्लस में साधु संतों का आशीर्वाद देंगे। अब वह जो साधु संतों का आशीर्वाद लेना भी एक मकसद बना हुआ होता है। ऐसे में लोगों को इसी नोज पर, जो पार्टिकुलर नोज है, इस नोज पर आने वाले साधु संतों के आशीर्वाद भी चाहिए होते हैं कि भाई, हम आ रहे हैं। नागा साधु समय पर दिखाई देते हैं, अखाड़े में दिखाई देते हैं, तो क्यों न हम उनके दर्शन भी कर कर जाएं? इस नोज पर, चूंकि आपने पहले ही लोगों को रोक दिया आने से, तो जो लोग 27-28 को जैसे तैसे इस तरफ आ गए थे, क्योंकि 30 में से जो न्यूज़ मीडिया बता रहा है, कुछ कह रहे हैं कि 30 में से 27 को पांच पुल ही चालू थे और 28 को 7 पुल ही चालू थे। 29 को जनता को आना है, बड़ी संख्या में लोगों को आना है और पुल बंद कर दिया गया। ऐसे में जो लोग इस तरफ आ गए थे, वह यहीं पर रुके रह गए। रुक गए रात्रि, उन्होंने यहीं पर विश्राम कर लिया, यह सोचकर कि 29 को यहीं पर वह लोग आएंगे और हम यहीं पर स्नान भी करेंगे और दर्शन भी करेंगे। उनके यहां रुकना और अन्य यात्री भी यहां आना चाहते थे। उनका आना तो वह जो आने वाले थे, उनके भीड़ के भर में, यहां जो रुके हुए लोग थे, जो यहां पर सोए हुए लोग थे, वह कुछ लाभ आ गए। मतलब, हालत आप देखिए, तो कुछ इस प्रकार की स्थिति बनी कि जो लोग यहां पर सो रहे थे, उनके ऊपर से लोग होकर। तो इसमें प्रशासन की जो सबसे बड़ी सफलता क्या रही है? कि प्रशासन ने 27 और 28 को पंडवों पुल को अगर खोल कर रखा होता, तो लोग यहां पर रुकते ही नहीं, वो निकल जाते वापस। और 29 के दिन संभव होता है वापस आते हैं। नंबर एक, अगर इतने ही पुल बनाए गए थे, तो से पुल से आने का और जाने का रास्ता कैसे हो सकता है? अगर आपने 30 पुल बनाए हैं, तो अल्टरनेटिव एक पुल आने का और एक पुल जाने का होता। तो संभवतः यहां पर इस तरह की स्थितियां ना बनतीं। खाने में जानकारी की न्यूज़ का पता यह चल रहा है कि यहां पर किसी ने अफवाह यह उड़ा दी कि साधु संत नहाने आ रहे हैं। सुबह के समय ऐसी स्थिति बनी कि यहां सोए हुए लोगों में भगदड़ का माहौल बन गया कि नागा साधु स्नान के लिए स्नान मौनी अमावस्या की दोपहर में जाकर किया है। mahakumbh 2025 stampede update

है। इस दुर्घटना के चलते, जब यह साधु संत आते हैं, तो आम जनता को वैसे ही हटाया जाता है। तो ऐसे में इस तरह से जनता को हटाया जाता है, तो लोगों को लगा रात को हटाया जा रहा है। साधु संत स्नान करने के लिए आ रहे हैं, तो बड़ी भीड़ के चलते वहां लेते हुए जो लोग हैं, वह इस तरह के दुर्घटना के शिकार हुए। यहां पर आप देख सकते हैं, महाकुंभ के अंदर कमिश्नर का एक वीडियो काफी वायरल हुआ, जिसमें वह लोगों को जो सो रहे थे, उन्हें मैसेज करके कह रहे थे कि जो सो रहे हैं, वह उठें। आप कुछ ले जाएंगे, भगदड़ की आशंका है। वहां से उठ जाइए। आप जो लोग वहीं रुक गए हैं, आपका रुकना ठीक नहीं है। आप वहां से उठिए और वहां से आने जाने का रास्ता छोड़िए। लेकिन जो लोग वहां रुक रहे थे, उनके साथ में जो हालात हुए, वह तस्वीर ही बयां कर रही हैं। एक और कमी निकलकर आई और वह यह थी कि जितने सारे लोगों ने स्नान किया, उसके मुकाबले वहां पर सिक्योरिटी फोर्सेज नहीं थीं। सिक्योरिटी फोर्सेज का अभाव और साथ में संगम पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों का आना। अब अच्छा, इस आने के साथ-साथ लोगों के दो प्रश्न और भी हैं। और वह यह है कि आपने इतनी बड़ी भीड़ को इनवाइट तो कर लिया, क्योंकि इसका प्रचार प्रसार खूब हुआ है। हर तरफ से यह महाकुंभ के बारे में लोगों को इनवाइट भेजा गया है। तो अगर आपके पास प्रबंधन का अभाव था, तो इनवाइट भेजने के लिए प्रयास नहीं करनी चाहिए? मुख्यमंत्री जी के द्वारा इस पार्टिकुलर कार्य के लिए मुआवजे की घोषणा कर दी गई है। जांच समिति बिठा दी गई और मुख्यमंत्री जी इस बात पर बोलते हुए भावुक भी हुए। जो उनका यह पल था, वह निश्चित ही यह बिल्कुल वैसा था कि एक व्यक्ति ने इतना बड़ा आयोजन किया और उस आयोजन के अंदर ऐसी दुर्घटना, जो की अनपेक्षित थी, इस तरह की घटना होना निश्चित ही हृदयविदारक थी। और कोई व्यक्ति जब पूरे मन से इस किसी कार्य को अंजाम दे रहा होता है, तो उनके इस तरह से इमोशंस निकल आना भी लाजमी होता है। सीएम साहब का दुखी होना तो बना, लेकिन जिन्होंने अपने परिवारजन को खोया, उनके दुख कहीं इसे ज्यादा लोगों को फील हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि सीएम साहब, आपने क्यों नहीं पहले से ही इस पूरी व्यवस्था को लेकर इस बात की जांच की, क्योंकि साल भर से तैयारी चल रही थी। 7,300 करोड़ से ऊपर का बजट केवल इस मेल प्रबंधन में लगा था। तो ऐसे में इस तरह की गलतियां कैसे हो सकती हैं? हालांकि पुलिस की तरफ से और सरकार की तरफ से इसके लिए जुडिशल प्रॉप मिटा दी गई है, लेकिन जिनके लोग चले गए, उनका तो वापसी आना संभव नहीं है। लेकिन जो बाकी लोग हैं, यहां पर सहूलियत मिल जाएगी। लोगों के मरने की खबर है, आने वाले समय में यहां पर सहूलियत मिल जाएगी। साथी, इसके साथ-साथ ही एक न्यूज़ और है। मैं 2 किलोमीटर दूर भी एक और स्टंप्ड हुआ और उसे स्टंप्ड के अंदर भी लोगों के मरने की खबर है। ऐसा इंडिया टुडे की तरफ से कहा गया। एक जगह और यह टेंपर्ड हुआ और वह हुआ जोशी क्षेत्र में, यानी कि यह तो नोज वाला इलाका है। उसके जस्ट ऑपोजिट साइड में झूसी नामक क्षेत्र पर सुबह 5:30 बजे यहां संगम न्यूज़ पर, तो सुबह 1:30 बजे हुआ है। स्टेप्ड हुआ है सुबह 5:30 बजे जो है, वह झूसी क्षेत्र के अंदर भी बोले स्टंप्ड हुआ और उसकी जो दवा है, बोले यह सारी तस्वीरें हैं। लोगों के जाते हुए कपड़े, कुचले हुए लोगों के कपड़े, यह सब दिखाई दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि वहां तक की तो रिपोर्टिंग अभी तक पहुंची ही नहीं है। झूसी क्षेत्र में भी स्टेप्ड हुआ है और वहां पर भी काफी सारे लोगों की जान गई है। ऐसा लोगों का कहना है कि जिस तरह से बुलडोजर यहां से लोगों के कपड़े हटा रहा है, जूते चप्पल जो फंसे हुए हैं, वह जाता रहा है। उसे देखकर तो लगता है कि कुछ तो भीषण यहां पर हुआ था। खैर, अभी क्षेत्र में जिनके लोग चले गए, वहीं आकर के इस बारे में अपनी जानकारी देंगे। अब बड़ा सवाल यह है कि वीआईपी और सॉरी नो व्हीकल जोन और वीवीआईपी से मुक्त कर दिया गया कि यहां पर अब कोई भी विप पास नहीं चलेगा। इस बीच में सरकार के द्वारा जो भी प्रयागराज आने वाली सड़क थी, चाहे फिर वह भदोही से, चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, मिर्जापुर, यह सब रास्ते बंद कर दिए गए। और जो लोग इस जगह से आ रहे थे, वह लोग भी रास्ते में फंस गए। उनके परिवार, जान भी रास्ते में फंस गए। लगभग 3 लाख से अधिक लोग सड़कों पर फंसे हुए हैं, क्योंकि जिन लोगों को अचानक रोक दिया गया, तो इस उम्मीद में जा रहे थे कि प्रयागराज जाकर के स्ट करेंगे। उनको रास्ते में रोक देने से फिर से बवाल खड़ा हो गया। इस बात का हो गया कि वह परिवार जनों के साथ बीच में अचानक एक प्रकार की बड़ी अवस्था यहां पर देखने को मिली। ऐसे में पूरे क्षेत्र को नो व्हीकल क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। फिलहाल में वनवे घोषित कर दिया गया राष्ट्रों को ताकि एक तरफ से आने का और एक तरफ से जाने का लगा दिया गया है। चार पहिया वाहनों की एंट्री को पूरी तरह रोक दिया गया। यह काम अगर पहले ही हो गया होता, तो संभव होता कि ऐसे हादसे नहीं होते। mahakumbh 2025 stampede update

अब बड़ा सवाल यह है कि तो फिर आपका क्या होगा, क्योंकि यहां पर विप प्रोटोकॉल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। तो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री यहां कैसे पहुंचेंगे? तो पहले तो यह जान लीजिए कि प्रधानमंत्री असर में यहां 5 फरवरी को पहुंचने वाले हैं और 10 फरवरी को राष्ट्रपति यहां पर पहुंचने वाले हैं। प्रधानमंत्री जब पहुंचेंगे, प्रधानमंत्री के पहुंचने से पहले ही 4 फरवरी तक के लिए ही विप प्रोटोकॉल बंद किया गया है। 5 फरवरी को वीआईपी प्रोटोकॉल ऑन रहेगा। एस पर जो अब तक की न्यूज़ है, उनके आधार पर दूसरी विप प्रोटोकॉल के साथ प्रधानमंत्री 5 फरवरी को क्यों जा रहे हैं? विप प्रोटोकॉल के साथ-साथ प्रधानमंत्री 5 फरवरी को क्यों जा रहे हैं, जबकि शाही स्नान मौनी अमावस्या के दिन था? वसंत पंचमी के दिन है। तो प्रधानमंत्री 5 तारीख को ही क्यों जा रहे हैं, जब टेक्निकल यह सारी जनता मौनी अमावस्या के नाम पर पहुंची हुई है, 29 तारीख के नाम पर, 3 तारीख के नाम पर? तो प्रधानमंत्री पासबुक क्यों जा रहे हैं? तो फिर लोगों ने यहां के बारे में तिथि निकल तिथि निकल तो पता चला कि 5 तारीख को गुप्त नवरात्रि रखते हैं। नवरात्रि के समय पर उस दिन मग अष्टमी है और मग अष्टमी गुप्त नवरात्रि है। बोले इस कारण से वह त्रिवेणी संगम पर जाकर के इस तरह का डुबकी लगाने वाले हैं। नंबर एक। दूसरा जो कारण निकल गया वह पॉलिटिकल कारण है। 5 फरवरी को दिल्ली के अंदर चुनाव है। तो प्रधानमंत्री कहीं ना कहीं अपने इस कार्य से भी लोगों को वोटों को प्रभावित करने का है। फिलहाल के लिए उम्मीद है कि आप सभी साथियों को यह जानकारी काम की होगी। mahakumbh 2025 stampede update