दिल्ली, जिसे आप देश की राजधानी के साथ-साथ अगर किसी और चीज के लिए खास रूप से आजकल जान और सुन रहे हैं, तो उसका नाम है पोल्यूशन। पोल्यूशन चाहे सर्दियों के अंदर खराब होती एक युवाई हो या फिर मानसून के समय वॉटर लॉगिंग की दिक्कत, गर्मियों के अंदर होती बातलाइट। हाल ही में तो एक बहुत बड़ी उपलब्धि दिल्ली ने हासिल की जब डेनमार्क की एक बैडमिंटन खिलाड़ी ने जनवरी के अंदर 16 जनवरी की हेडलाइन बनी कि राजधानी दिल्ली में खेलने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि यहां की पर्यावरणीय स्थिति खराब है। लेकिन फिलहाल दिल्ली के अंदर चुनाव हैं और उसे दिल्ली में यही मुद्दा किसी भी पार्टी के पास नहीं है। लेकिन चुनाव के लगभग आखिरी दिन से पहले 5 तारीख को इलेक्शन होने हैं, उससे पहले अचानक आरोप-प्रत्यारोप में पॉल्यूशन एक नए रूप में इंट्री लिया और उसका नाम था वॉटर पॉल्यूशन। वॉटर पॉल्यूशन दिल्ली से जुड़ा हुआ था।

केजरीवाल का हरियाणा सरकार पर आरोप:-
हाल ही में केजरीवाल जी का एक बयान वायरल हुआ जिसमें उन्होंने न्यूज एजेंसीज को बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस के रूप में बताया कि यमुना नदी के अंदर हरियाणा ने जहर मिला दिया है। यमुना नदी में मिलाया हुआ जहर एक साजिश के तहत किया गया कार्य है। दिल्ली के लोग पानी पीकर मर सकते हैं। ऐसे में हरियाणा के अंदर चूंकि भाजपा सरकार है और वह दिल्ली के लोगों को जल के जहर से मारना चाहती है। हरियाणा गवर्नमेंट कम से कम राजनीति में लोगों को करने का प्रयास तो ना करें। इनके द्वारा कल दिन बड़ी न्यूज़ की तरह का दिया गया एक बयान दुनिया के बीच में एक बड़ा मुद्दा बन गया। एक बड़ी खबर बन गई कि कैसे संभव है कि दिल्ली के लोगों को मारने की साजिश रची जा रही है। यह आरोप ऐसे व्यक्ति के द्वारा लगाया जा रहा था जो कि इस समय आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं। यह वही हैं जिन्होंने कभी तो 10 साल पहले कहा था कि मैं 2025 से 5 साल के लिए ही था, लेकिन दो-दो बार दोहरा कर कहा था कि यमुना को साफ कर दूंगा। 2025 में खुद हरियाणा पर 27 जनवरी को लगाया गया यह आरोप कि हरियाणा सरकार ने यमुना में जहर मिला दिया है। इसे राजनीति में एक भूचाल से आ गया। इस खबर ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। इतना भी बीजेपी क्या डेस्परेट हुई कि लोगों को मरवाने पर उतर आई। उनके इस बयान को बहुत गंभीरता से लिया गया कि अल्टीमेटली यह कैसे संभव है कि नदी में जहर मिला दिया जाए।

लेकिन इस बयान में इन्होंने एक लाइन और कहीं कि इस जहर को रोक दिया गया। भला हो कि यह भुज, अन्यथा यह पहुंच जाता तो बड़ा बवाल हो जाता। अब यहां से कई प्रश्न खड़े होने लगे कि अगर यमुना में जहर मिला दिया गया तो वह कौन सी तकनीक थी जिससे जहर को दिल्ली आने से पहले रोक दिया गया। और रोका गया तो आपके पास वह कौन सी सुविधा है जो नदी के पानी को एक साथ होल्ड कर सकती है या ऐसा कौन सा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है जो उसे जहर को रोक ले और साफ पानी बहने दे। क्योंकि वही पानी अगर हरियाणा में जहर मिलाया गया है तो यही अपना प्रयागराज जा रही है। दिल्ली की आबादी से कई गुना आबादी प्रयागराज के नदी के पानी से आचमन कर रही है, स्नान कर रही है। ऐसे में महाकुंभ के अंदर क्या हरियाणा सरकार ही एक मानस जेनोसाइड का प्रयास कर रही है? इस तरह करने वाले थे। ऐसे में फिर इसकी सारी की सारी कहानी शुरू की गई। सबसे पहले इस पूरे आप को समझने से आपको पहले बता दिया जाए कि जिस रिवर की चर्चा हुई है, वह रिवर कहां है और जिस रिवर पर चर्चा हुई है, वह रिवर किस तरह दिल्ली से चर्चा हो रही है। यमुना रिवर की जो कि उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में से है, गंगा की सहायक नदी है।

प्रयागराज में उत्तर भारत में बहने वाली यह यमुना नदी दिल्ली के अंदर बहती हुई निकलती है, लेकिन इससे पहले यह हरियाणा से बहते हुए आती है। हरियाणा में काफी बड़े शहर जैसे कि आप यहां पर पलवल, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत, करनाल, यमुनानगर इन्हें आप यमुना नदी के किनारे बसा हुआ देखते हैं। और यमुना नदी के किनारे बसे हुए यह काफी सारे शहर जैसे पानीपत, यह लंबे समय से किसी नदी के किनारे अपने कपड़े उद्योग के लिए और तमाम उद्योगों के लिए डेवलप होते आए हैं और अपने सिंधु नदी में छोड़ जाने जाते हैं।

उनके द्वारा छोड़ जाने वाला इंडस्ट्रियल वेस्ट इस नदी की एक लंबे समय से दिक्कत चलते ही यमुना नदी के अंदर अमोनिया और फास्फेट का स्तर बढ़ता रहा है। और इस चक्कर में अमोनिया और फास्फेट को दूर करना दिल्ली सरकार की अपनी पांव में रहा कि जब यह दिल्ली जाकर नदी पहुंचे तो उसे नदी से पहले ही वजीराबाद के अंदर दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर उसे अमोनिया को दूर किया जाएगा। इस कार्य के लिए 2023 में बाकायदा अनाउंसमेंट हुआ, लेकिन 2025 तक कोई भी ऐसा कार्यक्रम नहीं हो पाया। लेकिन इलेक्शन था और इस इलेक्शन में केजरीवाल जी को लगातार इस सवाल के लिए बार-बार मीडिया के द्वारा टोका जा रहा था।

पूछा जा रहा था कि केजरीवाल जी, आपने कहा था कि आप यमुना को साफ कर देंगे। यमुना साफ करने के लिए आपने 6800 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं अभी तक, लेकिन ऐसे में आपसे यमुना साफ क्यों नहीं हुई? तो लास्ट मोमेंट पर इन्होंने इस पूरी बात को हरियाणा पर डाल दिया कि हरियाणा वालों ने दिक्कत खड़ी कर दी और हरियाणा वालों ने जो दिक्कत खड़ी थी, इन्होंने आरोप लगाए कि उनके इंजीनियर ने जहरीला पानी पकड़ लिया है। जहर मिला पानी हरियाणा की भाजपा सरकार ने भेजा है। पानी पीने से लोग मर जाते हैं, यह एक सामूहिक नरसंहार होता है और ऐसे काम दो देश लड़ाई करते समय भी नहीं करते, जो भाजपा ने दिल्ली के लोगों के लिए किया है। इनका जो यह बयान था, अपने हैंडल पर लिखा और अमोनिया के लेवल को लेकर उन्होंने कमेंट किया। अब पहले मैं आपको यहां पर एक तथ्य स्पष्ट कर देता हूं ताकि आप इस बात को समझ पाएं कि यह जहर, जो बात हो रही है, क्या कहानी असल मायने में दिल्ली के लिए है। तो एक पेरेनियल रिवर, पेरेनियल मतलब साल भर बहने वाली नदी है, उत्तराखंड से आती है, उत्तरकाशी से निकलकर आती है, बंडर में मिलती है। उत्तराखंड से निकालकर फिर जाकर हरियाणा में और हरियाणा के बाद दिल्ली की दिल्ली हिमालय में उत्तराखंड में। उसके चलते इस नदी के अंदर जल स्तर बढ़ जाता है। जैसे आप ऐसे समझिए कि अगर एक गिलास पानी में आपने एक चम्मच नमक डाला, तो आपको खड़ापन जो है वह नजर आएगा। 10 क्लास पानी कर दो, तो यह खड़ापन थोड़ा कम हो जाएगा। इसके द्वारा इंडस्ट्रियल वेस्ट डाला जाता है, वह बारिश के समय पर ज्यादा पानी होने से डाइल्यूट हो जाता है और जल की जो सांद्रता है, कंसेंट्रेशन पीने के पानी में अमोनिया का जो परमिट, परमिसिबल लिमिट है, वह वन पार्ट पर मिलियन है। 1 पम कहा जाता है, लेकिन मानसून के समय में सही हो जाता है। मानसून निकलने के बाद जब सर्दियों का समय आता है, तब पानी गिरना कम होता है। ग्लेशियर हम देखते हैं, पानी का कम बहाव होता है। पानी कम आने से पानी की सांद्रता बढ़ने लगती है और उसके चलते पानी के अंदर पॉल्यूशन की मात्रा, पोल्यूटेंट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। ही पोल्यूटेंट्स को दूर करने के लिए दिल्ली के अंदर दिल्ली जल बोर्ड इस यमुना के पानी को वजीराबाद में रोककर फिल्टर करता है और फिल्टर करके उसमें एक्सेस जो अमोनिया का स्तर है, उसे हटाया जाता है और पानी को इस तरह जो पानी के अंदर अमोनिया का स्तर है, उसे कम कर दिया जाता है और वन पार्ट पर मिलियन तक लेकर कर लिया जाता है। अब सवाल है, या तो उनके पास कोई ऐसी विधा है, क्या कोई तकनीक है, जिससे यह करते हैं। तो इन्होंने तकनीक अपना रखी है और वह क्या है? कुछ और कैनाल सप्लीमेंट्री ले रखी है, जो बाहर से लेकर के इस दिल्ली जल बोर्ड तक पहुंचती है और उन कैनाल से यमुना के पानी को डाइल्यूट किया जाता है और उसे कैनाल के डाइल्यूटेड पानी से इस पानी को दिल्ली में सप्लाई किया जाता है।

यह सैंपल प्रक्रिया है जो फॉलो होती है और यह मुसीबत जनरली सर्दियों के समय पर अमोनिया की मात्रा पानी में बढ़ने लगती है। अमोनिया के साथ-साथ फास्फेट, जो की डिटर्जेंट का अपशिष्ट है, क्योंकि सीवेज के अंदर शहरों के द्वारा जो पानी छोड़ा गया है, वह नदी में सीधा छोड़ा जा रहा है, विदाउट ट्रीटमेंट छोड़ा जाता है। ऐसे में दिल्ली के अंदर नदी के अंदर पानी में, ऐसे में दिल्ली के अंदर नदी के अंदर पानी में जाग दिखाई देने लगते हैं। अक्सर छठ पूजा के समय, दिवाली के बाद आने वाली जो छत है, जो की सर्दी के समय पर दिखाई देती है, उसे समय आपने देखा होगा कि दिल्ली में छठ पूजा के समय जब लोग जाते हैं पूजा करने के लिए, तो दिल्ली की इस यमुना नदी में आप जाग दिखाई देते हैं। वह झाड़ असल में बड़ी हुई सांद्रता है अमोनिया की और फास्फेट की, जो कि सर्दियों के समय में पानी कम होने से विजिबल हो रही है और बारिश के समय में यह पानी दिखाई नहीं देता है। ठीक है, अब जो इन्होंने कहा कि हरियाणा ने अपनी ऐसा छोड़ जो जहर मिला हुआ था, असल में वह साल भर साल होती हुई घटना है, कोई आज की घटना नहीं है। हर साल यही घटना दोहराई जाती है इस महीने में, क्योंकि अगर पानी के अंदर अमोनिया है, तो वह पानी जहरीला ही कहलाता है, पीने योग्य नहीं होता। तो अगर केजरीवाल जी को बुलाकर कभी कोई पूछेगा कि साहब, आपने झूठ क्यों बोला, तो वह कहेंगे कि देख लो पानी का टेस्ट करके, इसमें 6 पार्ट पर मिलियन अमोनिया थी। मैं तो सही कह रहा था, यह जहरीला है। इस बयान में गलत क्या है? एनुअल हर साल होने वाली घटनाहै, हर बार होती है। इसी को ही साफ करने का ऐसा नहीं था कि केजरीवाल जी को इलेक्शन से जस्ट पहले यह पता चला। बात यह है कि यह जानकारी उन्हें इलेक्शन में खड़े होने से पहले ही पता थी कि यमुना की प्रॉब्लम क्या है और इस प्रॉब्लम को जो मैंने आपको समझाया, यह उन्हें और अच्छी तकनीकी तरीके से मालूम है। बस प्रॉब्लम यहां यह है कि इस काम के अंदर फिल्ट्रेशन प्लांट जो लगते थे, उन्हें वह पिछले 10 साल के अंदर कर नहीं पाए। इस 10 साल के अंदर जो तथ्यात्मक रूप से वह बात बोले कि हरियाणा ने इसके अंदर अमोनिया ज्यादा छोड़ दिया है, हर साल होने वाली एनुअल प्रक्रिया आप उठाकर देखेंगे, जाग आपको हर साल दिखाई देते हैं। पुराने कितनी भी निकालना, आपको ऐसा ही लगेगा जैसे किसी ने साबुन के झाग बनाकर नदी के अंदर छोड़ दिए हैं। केजरीवाल जी ने यह बात बोल दी, लेकिन जैसे ही यह बात बोली, कोई जहर नहीं मिलाया गया है। इसका कोई आधार नहीं है। इसमें जो फैक्ट दिए गए हैं, वह पूरी तरह गलत हैं और ऐसे बयानों से दिल्ली वासियों के अंदर एक डर पैदा होता है और दूसरे राज्यों से हमारे रिश्ते खराब होते हैं। और इसकी क्या कहानी है?

दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ का बयान:-
केजरीवाल जी के बयान को काउंटर करते हुए हैं, उनको गलत बताते हुए कि सीईओ ने केजरीवाल जी के पक्ष में ना रखकर, पक्ष में रखा बयान सच्चाई के पक्ष में। हिसाब दिल्ली जल बोर्ड ऐसा बोलता है, लेकिन अब इसके एक और मेन की तरफ चलते हैं। असल में क्या है? दिल्ली में एक बड़ा कॉनलिस्ट ट्रांसलेट क्या रहा है? दिल्ली ज्यादा समर्पित है उप राज्यपाल के प्रति, उपराज्यपाल जो कि केंद्र द्वारा भेजा जाता है, केंद्र में एनडीए सरकार है, बीजेपी की सरकार है। और उसके प्रति ज्यादा समर्पित होता है। दिल्ली का प्रशासन तो अक्सर दिल्ली सरकार की शिकायत रही है कि यहां की जो आईएएस लॉबी है, यह सब उपराज्यपाल को खुश करने के लिए या केंद्र सरकार को काम करती है। क्योंकि यहां पर लगने वाले जो आईएएस अधिकारी हैं, यह डेनिम्स के हैं। यह कहीं न कहीं ऐसी जगह पर ट्रांसफर किए जा सकते हैं। इस बात में गलत जो था, वह मैंने आपको बता दिया। गलत यह था कि तथ्य को सिलेक्टिवली बोला गया। सिलेक्टिवली मतलब इस तरह से रखा गया कि यहां पर अभी ताजा कोई बात नहीं। इस बात से राजनीति होनी थी। जो बातें मैंने आपको अभी समझाई, कि हर आदमी के काम की तो नहीं हो सकती। ऐसे में राजनीति को राजनीतिके हरियाणा के सीएम के बयान पर हरियाणा की कमिटी केजरीवाल खुद हरियाणा में पैदा हुए, ऐसा कैसे वह यह कह सकते हैं कि हरियाणा के लोग नदी में जहर मिला देंगे|

हरियाणा के मुख्यमंत्री का बयान:-
नायब सिंह सैनी जी का इस पर बयान आया और उन्होंने केजरीवाल जी से सवाल किया और कहा, निष्कर्ष निकालाकी दूसरा कौन सा जहर डाला गया? और अगर जहर था, तो आपने उसे रोक कैसे? जाता हुआ निकल गया और वही अपने लोगों को पिला दिया। तो अगर आपने उसे पानी को रोक लिया, क्योंकि आप कह रहे हो कि हमने जहर को रोक लिया, तो आपने कौन सी विधा से उसे रोक लिया? उसे विद्या को बताइए। बॉर्डर पर वह पानी कहां है, कहां रोका है? जरा उसे पर बताइए। क्या आपने कोई तत्काल उसके लिए दीवार बनाई है? कि यह दीवार बनाई और मैं जहर रोक दिया। और पानी जहरीला था, तो इसकी वजह से कुछ मछलियां मरनी चाहिए। यह सवाल बिल्कुल एकदम काउंटर लॉजिक के साथ दिए गए सवाल थे। जानते यह भी है कि पानीपत से सोनीपत से वहां पर बहुत सारा इंडस्ट्रियल वेस्ट छोड़ा जाता है, जिससे वहां पर अमोनिया का और फास्फेट की मात्रा बढ़ती है। लेकिन यह भी सिलेक्टिवली अपनी बात को सही बोल रहे हैं। सिलेक्टिवली क्यों? यह इस बात को बोल तो रहे हैं कि यमुना के अंदर, मतलब यमुना के अंदर हमने जहर नहीं मिलाया, लेकिन सही मायने में पोल्यूटेंट्स नदी के लिए जहर है। यह बात आप और हम जान रहे हैं। बस इतना समझते हैं कि इसके लिए जिम्मेदार कौन? ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी केजरीवाल जी ने ली थी कि मैं इसे 10 सालों के अंदर एकदम क्लीन कर दूंगा। तो जब अपने कमिटमेंट दिया था, वह पूरा नहीं हुआ। तो लोग आपसे ज्यादा जिम्मेदारी से इस सवाल को पूछ रहे हैं। बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जी ने भी इस बात को बहुत अच्छे से रखा और पूछा कि साहब, आप ऐसे बयान कैसे दे सकते हैं? यह फर्जी बयान है। सबसे राहुल गांधी जी का। राहुल गांधी जी इस बार निकाल कर आए और उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में आज ही कहा कि केजरीवाल जी जो मन में आता है, कह देते हैं। उन्होंने शुरुआत में कहा कि मैं छोटी गाड़ी में चलूंगा, तो सब वह शीश महल में रहने लगे। उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार नहीं करेंगे, खुद लेकर स्कैन में शामिल हो गए। अब यहां एक इंट्रस्टिंग कहानी घटित होती है। राहुल गांधी जी के द्वारा दिल्ली में ग्रेवाल जी के विरोध में प्रचार किया जा रहा है। उन्हें केजरीवाल जी के विरोध में प्रचार किया जा रहा है। जो कुछ मैंने पहले कांग्रेस के साथ इंडिया ग्रुप के अंदर इंडिया ब्लॉक के अंदर चुनाव लड़े थे।

ऐसे में उनके द्वारा केजरीवाल जी पर यह आरोप लगाना कि आप शीश महल में रहते हैं। नंबर दूसरा, आपने लिखकर स्कैन किया है। असल महीने में लिखकर स्कैन सबसे पहले कांग्रेस ने ही उजागर किया था। लेकिन फिर कांग्रेस ने लोकसभा के चुनाव में एलाइंस कर लिया। एलाइंस कर लिया, तो उसे पर सिलेक्टिवली यह लोग चुप हो गए कि हम इस पर अभी नहीं बोलेंगे, क्योंकि केजरीवाल हमारे साथ आ गए हैं। यह बिल्कुल वैसा ही तरीका था जैसे भाजपा के अंदर एक्शन चार्ज के साथ जाता है। तो वहां की वाशिंग मशीन में घुल जाता है। ऐसे ही कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ किया कि अगर आप हमारे साथ हैं, तब तक हम आपके खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे। लेकिन आप हमसे अलग हुए, तो हम आपके खिलाफ खूब सारा बोलेंगे। राहुल गांधी जी ने भी आज खूब दिल से बोला और यह सब बोल वाली जो चल रही है, इस बीच में आदमी केवल क्योंकि तुम तीनों ही पार्टी के किसी भी एजेंट में जनता की जिंदगी का कोई फिक्र नहीं है। बस फर्क यह है कि कौन ज्यादा अच्छे से अपनी बातें रख रहा है। वहां के पॉल्यूशन को कौन खत्म करेगा? एयर क्वालिटी इंडेक्स कौन सुधरेगा? सड़क कौन सही करेगी? ट्रैफिक कंडक्शन कौन दूर करेगा? गर्मी में रहता कौन दिलाएगा? मानसून के समय वॉटर ट्रीटमेंट को लेकर क्या करेगा? लोगों के रोजगार के लिए क्या करेगा? इसके बारे में कहीं कोई दूर-दूर तक चर्चा नहीं है।

लेकिन हां, बयान वीर सब अपनी-अपनी बातों में जनता को उलझाने में लगे हैं। और जनता ने अपनी ड्यूटी में वोट देने जाएंगे। तो वोट कब देना है? वोट देना है 5 फरवरी को। रिजल्ट कब आ जाएंगे? 8 फरवरी को। असल महीने में तीनों अपनी-अपने अपनी बातें रख दिए। जो ज्यादा सही जनता को लगा, वह चुनाव जीत जाएगा।